आजादी के 75 वर्ष के बाद भी गाव को पक्की सड़क नही लोगो ने बोई फसल
Автор: Table Top News
Загружено: 2025-07-26
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हाथीघाट का मुख्य मार्ग बना कीचड़ का दलदल, स्कूली बच्चों से लेकर ग्रामीण तक बेहाल
दमोह जिले की ग्राम पंचायत हरदुआ अंतर्गत आने वाला गांव हाथीघाट इन दिनों बदहाल सड़क व्यवस्था से जूझ रहा है। बरसात शुरू होते ही गांव का मुख्य मार्ग कीचड़ से लबालब हो गया है, जिससे ग्रामीणों सहित स्कूली बच्चों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कवि चंद्रभान सिंह लोधी ने बताया की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी इस गांव की सड़क नहीं बन पा रही है। बच्चे यंहा से स्कूल आते जाते हैं लेकिन सड़क खराब होने के कारण स्कूल भी नहीं जा पाते हैं। इसी ख़राब सड़क पर आज हम लोगों ने फसल बोकर शासन को बताना चाहते हैं कि इस सड़क से हम निकल नहीं सकते तो कम से कम फसल ही होगा सकते हैं ने बताया कि यह सड़क गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है और स्कूल, बाजार आदि तक पहुँचने का यही एकमात्र रास्ता है। कीचड़ और फिसलन के कारण छोटे बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। वहीं, बुजुर्ग और महिलाएं भी रोजमर्रा के कामों के लिए घर से निकलने में डर महसूस कर रहे हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि यह स्थिति कई दिनों से बनी हुई है, लेकिन संबंधित पंचायत और तहसील प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन कोई भी जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा।
क्या कहता है जनमानस:
ग्रामीणों का आरोप है कि चुनावों के समय नेताओं द्वारा पक्की सड़क बनाने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन आज स्थिति यह है कि बच्चे गिरकर चोटिल हो रहे हैं और वाहन चालक फिसलन से जान जोखिम में डाल रहे हैं। अब देखना होगा कि जिम्मेदार कब जागते हैं और गांव हाथीघाट की सड़कें कब दलदल से राहत पाती हैं। प्रदर्शन में मुख्यरूप से कवि चन्द्रभान सिंह लोधी, भूपेंद्र सिंह लोधी, धन सिंह आदिवासी, रम्मू सिंह सहित महिलाओं एवं युवा शामिल रहे।
आजादी के बाद भी नहीं बनी सड़क,
आजादी के 75 वर्ष बीतने के बाद भी गांव में पक्की सड़क नहीं।,
सासाराम के इस गांव में नहीं है सड़क,
सड़क के बिना है यह गांव
सपने में कीचड़ देखने का मतलब,
सपने में कीचड़ देखना,
आंख में कीचड़ आने का ईलाज,
रात में आंखो में ज्यादा कीचड़ आना,
सड़क पर लगाया धान,
सड़क खराब होना पर लगाया धान,
गांव की गलियों में ही कर दी धान की रोपाईshorts
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