ब्यावर से शुरू हुआ RTI आंदोलन अब बना इतिहास|Nikhil Dey Exclusive Interview|RTI संग्रहालय नर्बदखेड़ा|
Автор: The Magranchal Report
Загружено: 2025-10-12
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                    निखिल डे एक सामाजिक कार्यकर्ता (social activist) हैं, जो खासतौर पर सूचना का अधिकार (RTI – Right to Information) आंदोलन और ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों पर काम के लिए प्रसिद्ध हैं।
🔴निखिल डे मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बिताया है।
🔴पढ़ाई उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (St. Stephen’s College) और अमेरिका की Syracuse University से की।
🔴1980 के दशक में वे अरुणा रॉय और शंकर सिंह जैसे कार्यकर्ताओं के साथ देवडूंगरी (भीलवाड़ा, राजसमंद  राजस्थान) आ गए और मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) की स्थापना की।
🔴यह संगठन ग्रामीण मजदूरों और किसानों के मजदूरी हक, पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए काम करता है।
🔴MKSS ने “हमारा पैसा — हमारा हिसाब” जैसे नारों के साथ जन-सुनवाई आंदोलन शुरू किया, जिसमें पंचायतों के खर्च और रिकॉर्ड जनता के सामने पढ़े जाते थे।
उनके बारे में कुछ मुख्य बातें —
🔴MKSS ने न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर बड़ा आंदोलन चलाया, जिससे बाद में RTI कानून 2005 लागू हुआ।
🔴निखिल डे ने मनरेगा (MGNREGA) कानून को लागू करने की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाई।
🔴वे अक्सर भ्रष्टाचार, जन-सुनवाई, और लोक सेवाओं में पारदर्शिता जैसे विषयों पर सक्रिय रहते हैं।
🔴निखिल डे ने मनरेगा (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के निर्माण और क्रियान्वयन में भी सहयोग दिया।
🔴वे राजस्थान सरकार की कई समितियों के सदस्य रहे हैं, जो पारदर्शिता, सामाजिक अंकेक्षण और श्रमिक अधिकारों पर काम करती हैं।
🔴उन्होंने “सोशल ऑडिट (Social Audit)” की अवधारणा को व्यावहारिक रूप दिया, जिससे योजनाओं में भ्रष्टाचार कम करने में मदद मिली।                
                
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