DT-SPIRITUAL||
Автор: Dronacharyatimes
Загружено: 2022-09-15
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मनुष्य का अभ्यंतर कैसा है अर्थात मनुष्य अंदर से कैसा है ,सुख और शांति क्या है, यह श्राद्ध क्या है, शरीर का आभामंडल कैसे निर्मित होता है?
अध्यात्म में इतिहास सदैव वर्तमान रहता है लेकिन आज तो अध्यात्म का व्यापार हो रहा है। इंद्रियों की उपादेयता पूर्ण होने पर हम सुख कहते हैं और मन जब स्थिर होता है अर्थात मन की स्थिरता को ही हम शांति कहते हैं। मनुष्य बाहर से एक मुखी है लेकिन अभ्यंतर में देखें तो वह 19 मुखी है और 38 भुजाओं वाला है। शरीर में पांच कोष और सात रस हैं आठवां ओज है जिसे तेजस कहते हैं, जिससे मनुष्य में आभामंडल का निर्माण होता है। श्रद्धा की पराकाष्ठा जो पहले थी आज उसे विकृत कर श्राद्ध कर दिया गया है। #dtnews
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