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बासमती धान की खेती कैसे करें | Basmati Rice Farming | बासमती धान की किस्में

बासमती धान की खेती कैसे करें

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Автор: kisan wala junction

Загружено: 2023-06-22

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बासमती धान की खेती [Basmati Rice Farming] से सम्बंधित जानकारी


बासमती धान की खेती कैसे करें (Basmati Rice Farming)

बासमती चावल की खेती करने वाले किसान भाई एक बात को जरूर जान ले कि धान की बिक्री के लिए बाजार का ही सहारा ले, इससे वह अच्छा मुनाफा कमा सकेंगे | 25 फीसदी शेयर के साथ विश्व में भारत बासमती चावल का निर्यात करने में प्रथम स्थान पर है | भारत से प्रतिवर्ष तक़रीबन 30 हज़ार करोड़ से भी अधिक बासमती चावल का निर्यात किया जाता है | बासमती धान की अधिक उत्पादकता लेने के लिए किसानो को कृषि तकनीक का विशेष ज्ञान होना जरूरी है | इसमें विशेष किस्मो का चुनाव के साथ-साथ उचित भूमि व् जलवायु की भी जरूरत होती है | बासमती धान की प्रजातियां लंबी अवधि, प्रकाश संवेदनशील और अधिक ऊंचाई वाली होती है | इन प्रजातियों से धान की उपज काफी कम हो पाती है | किन्तु बासमती धान की नई उन्नत किस्मो को अधिक खाद व् उवर्रक देकर अधिक उत्पादन ले सकते है |



बासमती धान की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व भूमि का चयन (Basmati Paddy Cultivation Land and Climate)

बासमती धान के पौधों को वृद्धि करने के लिए नम व गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है | 21 से 35 डिग्री के तापमान पर बासमती का पौधा अच्छे से वृद्धि कर लेता है, तथा 50 से 500 CM वर्षा वाले क्षेत्रों में भी धान की खेती सफलतापूर्वक कर सकते है| किन्तु दोमट या मटियार भूमि को अच्छी फसल के लिए उपयुक्त माना गया है | यह मिट्टी पानी रोकने में अधिक सक्षम होती है |




बासमती की उन्नत किस्में (Basmati Improved Varieties)



बासमती धान बीज शोधन व बीज की मात्रा (Basmati Paddy Seed Purification and Seed Quantity)


बासमती धान के बीजो को नर्सरी में लगाने से पूर्व बीजो का शोधन अवश्य कर लेना चाहिए | बीजो को जीवाणु झुलसा या जीवाणु धारी रोग से बचाने के लिए 40 GM प्लांटोमाइसीन या 4 GM स्ट्रेपटोसाइक्लीन की मात्रा को पानी में मिलाकर उससे 25 KG बीज की मात्रा को उपचारित करना चाहिए | इसके बाद छाया में सुखाकर नर्सरी में लगाए | अगर आपके क्षेत्र में शुक्राणु झुलसा का प्रकोप नहीं देखने को मिलता है, तो आप उन 25 KG बीजो को पूरी रात भिगोकर दूसरे दिन 50 GM कार्बेन्डाजिम या 75 GM थीरम की मात्रा को पानी में मिलाकर उससे उपचारित करे | इसके बाद बीजो को छाया में अंकुरित कर नर्सरी में लगाए| बीज शोधन के लिए बायोपेस्टीसाइड का उपयोग करे | उन्नत क़िस्मों के आधार पर प्रति हेक्टेयर के खेत में 25-30 KG बीज पर्याप्त होते है, प्रति किलोग्राम बीज की दर को 2 GM कार्बेन्डाजिम की मात्रा से उपचारित कर बोना होता है |


बासमती धान की पौध तैयार करना (Basmati Paddy Planting)


बासमतीधान की पौध को तैयार करने के लिए उचित जल निकासी वाले उपजाऊ खेत का चयन करना चाहिए | इसके अलावा सिंचाई का स्त्रोत भी करीब हो | एक हेक्टेयर के खेत में लगने वाले पौधों को 700 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में तैयार कर सकते है | जल्द पकने वाली प्रजातियों के बीज की बुवाई जून के दूसरे हफ्ते में कर सकते है, तथा मध्य जून में देर से पकने वाली प्रजाति की बुवाई करे | नर्सरी की मिट्टी में सड़ी हुई गोबर और कम्पोस्ट खाद को अच्छे से मिला दे | इसके बाद खेत में पानी भरकर पलेव कर दे, और दो से तीन जुताई कर पाटा लगा दे | अब खेत में सामान्य ऊंचाई वाली क्यारियों को तैयार करे | बीज बुवाई से पूर्व 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के हिसाब से 100 GM यूरिया, 225 GM अमोनियम सल्फेट तथा 200 GM सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करे | इसके अलावा आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई – गुड़ाई, रोग, कीट की रोकथाम के लिए उचित प्रबंधन करे, साथ ही खेत में जलभराव न होने दे |




बासमती के पौधों की रोपाई का समय और तरीका (Basmati Plants Transplanting Timing and Method)


बासमती के पौधों की रोपाई खेत में करने के 10 से 15 दिन पूर्व खेत में पानी भरकर पिछली फसल के अवशेषों को नष्ट कर दिया जाता है | खेत की भूमि को मुलायम और लेहयुक्त करने के लिए दो से तीन तिरछी जुताई करनी होती है, फिर पाटा लगाकर खेत को समतल कर देते है | बासमती धान के पौधों की रोपाई का समय फसल की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करता है | 25 से 30 दिन पुरानी बासमती की पौध खेत में लगाने के लिए उपयुक्त होती है | पश्चिम उत्तर प्रदेश राज्य में बासमती धान की पूसा बासमती -1 प्रजाति को जुलाई के पहले सप्ताह में लगाया जाता है, तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में पौध की रोपाई 15 जुलाई तक की जाती है | बासमती 370, तरावड़ी बासमती तथा टाइप 3 बासमती की प्रजाति को जुलाई के अंतिम सप्ताह में पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा अगस्त के प्रथम सप्ताह में पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगाया जाता है | पौधों की रोपाई के लिए खेत में 20X15 की दूरी रखनी चाहिए | यदि रोपाई देर से करने वाले है, तो पौध से पौध के बीच 15X15 CM की दूरी रखे | जल भराव वाले खेत में बासमती के पौधों की रोपाई बिल्कुल न करे | क्योकि इससे धान की गुणवत्ता पर विपरीत असर देखने को मिलता है |


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