Ma Taara Stotram + Shri Baamdev dhyan mantra + Mon Chalo nijo niketone (Bengali) | Deep chant
Автор: Arindam Chakraborty
Загружено: 2025-11-15
Просмотров: 131
Описание:
Ma Taara Stotram + Shri Baamdev dhyan mantra + Mon Chalo nijo niketone (Bengali) | Deep chant
#transcendentexperience
#transcendentexperience
#electronicmusic
#aigenerated
#maa
#hindudeity
Lyrics 1:
तारास्तोत्रम् अथवा ताराष्टकं अथवा श्रीनीलसरस्वतीस्तोत्रम्
श्रीगणेशाय नमः ।
मातर्नीलसरस्वति प्रणमतां सौभाग्यसम्पत्प्रदे
प्रत्यालीढपदस्थिते शवहृदि स्मेराननाम्भोरुहे । (शिवहृदि)
फुल्लेन्दीवरलोचने त्रिनयने कर्त्रीकपालोत्पले
खड्गं चादधती त्वमेव शरणं त्वामीश्वरीमाश्रये ॥ १॥
वाचामीश्वरि भक्तिकल्पलतिके सर्वार्थसिद्धिश्वरि
गद्यप्राकृतपद्यजातरचनासर्वार्थसिद्धिप्रदे ।
नीलेन्दीवरलोचनत्रययुते कारुण्यवारान्निधे
सौभाग्यामृतवर्धनेन कृपयासिञ्च त्वमस्मादृशम् ॥ २॥
खर्वे गर्वसमूहपूरिततनो सर्पादिवेषोज्वले (शर्वे)
व्याघ्रत्वक्परिवीतसुन्दरकटिव्याधूतघण्टाङ्किते ।
सद्यःकृत्तगलद्रजःपरिमिलन्मुण्डद्वयीमूर्द्धज-
ग्रन्थिश्रेणिनृमुण्डदामललिते भीमे भयं नाशय ॥ ३॥
मायानङ्गविकाररूपललनाबिन्द्वर्द्धचन्द्राम्बिके
हुंफट्कारमयि त्वमेव शरणं मन्त्रात्मिके मादृशः ।
मूर्तिस्ते जननि त्रिधामघटिता स्थूलातिसूक्ष्मा
परा वेदानां नहि गोचरा कथमपि प्राज्ञैर्नुतामाश्रये ॥ ४॥
त्वत्पादाम्बुजसेवया सुकृतिनो गच्छन्ति सायुज्यतां
तस्याः श्रीपरमेश्वरत्रिनयनब्रह्मादिसाम्यात्मनः ।
संसाराम्बुधिमज्जने पटुतनुर्देवेन्द्रमुख्यासुरान्
मातस्ते पदसेवने हि विमुखान् किं मन्दधीः सेवते ॥ ५॥
मातस्त्वत्पदपङ्कजद्वयरजोमुद्राङ्ककोटीरिणस्ते
देवा जयसङ्गरे विजयिनो निःशङ्कमङ्के गताः ।
देवोऽहं भुवने न मे सम इति स्पर्द्धां वहन्तः परे
तत्तुल्यां नियतं यथा शशिरवी नाशं व्रजन्ति स्वयम् ॥ ६॥
त्वन्नामस्मरणात्पलायनपरान्द्रष्टुं च शक्ता न ते
भूतप्रेतपिशाचराक्षसगणा यक्षश्च नागाधिपाः ।
दैत्या दानवपुङ्गवाश्च खचरा व्याघ्रादिका जन्तवो
डाकिन्यः कुपितान्तकश्च मनुजान् मातः क्षणं भूतले ॥ ७॥
लक्ष्मीः सिद्धिगणश्च पादुकमुखाः सिद्धास्तथा वैरिणां
स्तम्भश्चापि वराङ्गने गजघटास्तम्भस्तथा मोहनम् ।
मातस्त्वत्पदसेवया खलु नृणां सिद्ध्यन्ति ते ते गुणाः
क्लान्तः कान्तमनोभवोऽत्र भवति क्षुद्रोऽपि वाचस्पतिः ॥ ८॥
(फलश्रुतिः ।)
ताराष्टकमिदं पुण्यं भक्तिमान् यः पठेन्नरः । (ताराष्टकमिदं रम्यं)
प्रातर्मध्याह्नकाले च सायाह्ने नियतः शुचिः ॥ ९॥
लभते कवितां विद्यां सर्वशास्त्रार्थविद्भवेत्
लक्ष्मीमनश्वरां प्राप्य भुक्त्वा भोगान्यथेप्सितान् ॥ १०॥
कीर्तिं कान्तिं च नैरुज्यं सर्वेषां प्रियतां व्रजेत् ।
विख्यातिं चापि लोकेषु प्राप्यान्ते मोक्षमाप्नुयात् ॥ ११॥
॥
इति श्रीबृहन्नीलतन्त्रे तारास्तोत्रं अथवा ताराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
श्रीनीलसरस्वतीस्तोत्रम् च
Lyrics 2:
বামদেব বাবার ধ্যান মন্ত্র
ওঁ নররূপী আশুতোষং
সৌমানন চারুহাসং সিন্দুর চন্দন ভালং
রুদ্রাক্ষমাল কলিত গলং
ভষ্মভূষিত কায়ং আসবানন্দ নয়নং
পরংব্রহ্ম স্বরূপম বালভাব প্রকাশং
বিগলিত কেশভারং ক্ষীনবাসং
তারাচরণ দৃষ্টিপরং তারানাদ পরায়নং
ভক্তি হীনং অতিদীনং মুমুক্ষানাং
মোক্ষকারীং শ্মশানচারী বিহারীং
ভজেহহং ত্বম বামদেবায় মহেশ্বরায়ঃ নমঃ ॥
জয় জয় তারা। জয় জয় বাম।
Lyrics 3:
মন চলো নিজ নিকেতনে
সংসার বিদেশে বিদেশীরও বেশে ভ্রম কেন অকারণে।
মন চলো নিজ নিকেতনে।
বিষয়-পঞ্চক আর ভূতগণ সব তোর পর
কেহ নয় আপন। পরপ্রেমে কেন হয়ে অচেতন ভুলিছ আপনজনে
মন চলো নিজ নিকেতনে।
সত্যপথে মন কর আরোহণ, প্রেমের আলো জ্বালি চল অনুক্ষণ
সঙ্গেতে সম্বল রাখো পূণ্যধন গোপনে অতি যতনে
লোভ-মোহাদি পথে দস্যুগণ, পথিকের করে সর্বস্ব সমশন
পরম যতনে রাখোরে প্রহরী শম,দম দুইজনে
মন চলো নিজ নিকেতনে।
সাধুসঙ্গ নামে আছে পান্থধাম, শ্রান্ত হলে তথায় করিবে বিশ্রাম
পথভ্রান্ত হলে শুধাইবে পথ সে পান্থনিবাসী জনে।
যদি দেখ পথে ভয়েরও আকার
প্রাণপণে দিও দোহাই রাজার
সে পথে রাজার প্রবল প্রতাপ, শমণ ডরে যার শাসনে।
মন চলো নিজ নিকেতনে।
সংসার বিদেশে বিদেশীরও বেশে ভ্রম কেন অকারণে।
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: