ट्राइकोडर्मा की A To z जानकारी \\ट्राइकोडर्मा का उपयोग कैसे \\ट्राइकोडर्मा के बारे में पूरी जानकारी
Автор: krishiBhagat 🌾
Загружено: 2024-04-05
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मैं गुरदीप सिंह इस वीडियो में निम्न जानकारी दी गई है मेरी शिक्षा कृषि विषय से हुई है\ जैविक खेती में बड़े काम का होता है ट्राइकोडर्मा, जानिए कब और कैसे करें इसका इस्तेमाल
जैविक खेती करने वाले किसान भाइयों को अक्सर ट्राइकोडर्मा के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है, कई किसानों के मन में सवाल होता है कि आखिर ये ट्राइकोडर्मा है क्या और इसके क्या फायदे होते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ एस के सिंह आज ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं।ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल कैसे करते हैं?
ट्राइकोडर्मा का 6-10 ग्राम पाउडर प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजों को शोधित करें।
पौधशाला में नीम की खली, केचुआँ की खाद या पर्याप्त सड़ी गोबर की खाद मिलाकर ट्राइकोडर्मा 10-25 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिट्टी शोधित करें।
खेत में सनई या ढ़ैचा पलटने के बाद कम से कम 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से ट्राइकोडर्मा पाउडर का बुरकाव करें।
खेत में वर्मी कम्पोस्ट या खली या गोबर की खाद डालने के समय उसमें ट्राइकोडर्मा अच्छी तरह मिलाकर डालें।
ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम +100 ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद/लीटर पानी में घोलकर पौध के जड़ को डुबोकर रोपाई करें।
खड़ी फसल में ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल कर जड़ के पास डालें।
ट्राइकोडर्मा से क्या न करें?
ट्राइकोडर्मा और फँफूद नाशक का प्रयोग एक साथ न करें।
सूखी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग न करें।
तेज़ धूप में शोधित बीज न रखें
ट्राइकोडर्मा मिश्रित कार्बनिक खाद को न रखें।
मिट्टी में रासायनिक दवाओं का प्रयोग तत्काल और किसी एक फफूँद विशेष के लिए होता है। ये दवाएँ मिट्टी में पहले से विद्यमान ट्राइकोडर्मा और अन्य फायदेमंद जैविक कारकों को मार देती हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि नमी और पर्याप्त कार्बनिक खाद की कमी से ट्राइकोडर्मा का विकास नहीं होता और मर जाता है।
मैं गुरदीप सिंह इस वीडियो में निम्न जानकारी दी गई है मेरी शिक्षा कृषि विषय से हुई हैट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल कैसे करते हैं?
ट्राइकोडर्मा का 6-10 ग्राम पाउडर प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजों को शोधित करें।
पौधशाला में नीम की खली, केचुआँ की खाद या पर्याप्त सड़ी गोबर की खाद मिलाकर ट्राइकोडर्मा 10-25 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिट्टी शोधित करें।
खेत में सनई या ढ़ैचा पलटने के बाद कम से कम 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से ट्राइकोडर्मा पाउडर का बुरकाव करें।
खेत में वर्मी कम्पोस्ट या खली या गोबर की खाद डालने के समय उसमें ट्राइकोडर्मा अच्छी तरह मिलाकर डालें।
ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम +100 ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद/लीटर पानी में घोलकर पौध के जड़ को डुबोकर रोपाई करें।
खड़ी फसल में ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल कर जड़ के पास डालें।
ट्राइकोडर्मा से क्या न करें?
ट्राइकोडर्मा और फँफूद नाशक का प्रयोग एक साथ न करें।
सूखी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग न करें।
तेज़ धूप में शोधित बीज न रखें
ट्राइकोडर्मा मिश्रित कार्बनिक खाद को न रखें।
मिट्टी में रासायनिक दवाओं का प्रयोग तत्काल और किसी एक फफूँद विशेष के लिए होता है। ये दवाएँ मिट्टी में पहले से विद्यमान ट्राइकोडर्मा और अन्य फायदेमंद जैविक कारकों को मार देती हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि नमी और पर्याप्त कार्बनिक खाद की कमी से ट्राइकोडर्मा का विकास नहीं होता और मर जाता है\क्या आपके मन में भी सवाल उठ रहे हैं ट्राइकोडर्मा क्या है? ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल कैसे करते हैं? कब इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए? अगर हाँ तो आज ऐसे ही प्रश्नों का जवाब यहाँ देने का प्रयास किया गया है ।
ट्राइकोडर्मा एक अलग तरह का फफूँद होता है जो मिट्टी में मौजूद रहता है। यह जैविक फफूँदनाशक है जो मिट्टी और बीजों में पाये जाने वाले हानिकारक फँफूदों का नाश कर पौधे को स्वस्थ और निरोग बनाता है।
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