Vaman Dwadashi Vrat Katha वामन द्वादशी व्रत और व्रत कथा
Автор: Sanatan Dharam Yatra
Загружено: 2021-09-10
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वामन द्वादशी व्रत और व्रत कथा
वामन द्वादशी व्रत:
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी का व्रत किया जाता है। इसे वामन जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि से त्रिलोक जीत लिया था।
वामन द्वादशी व्रत का महत्व:
इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यह व्रत करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है।
इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वामन द्वादशी व्रत की विधि:
वामन द्वादशी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
भगवान विष्णु को फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
वामन द्वादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
वामन द्वादशी व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय में दैत्यों के राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने वामन देव को तीन पग भूमि दान में देने का वचन दिया। वामन देव ने अपने दो पगों में पूरी पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया। जब उन्होंने तीसरा पग रखने के लिए जगह मांगी तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया। वामन देव ने राजा बलि के सिर पर पैर रखकर उसे पाताल लोक में भेज दिया।
यह कथा हमें सिखाती है कि हमें कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। भगवान विष्णु हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
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