Annaprashana Sanskar: Annaprashan Ceremony अन्नप्राशन संस्कार पसनी samay Muhurat
Автор: Astro Arvind Divya Ratan Gyan
Загружено: 2022-01-02
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Annaprashana Sanskar: अन्नप्राशन संस्कार - कब कराना चाहिए बालक या बालिका को पहला अन्न ग्रहण कब और कैसे कराएं सही विधि अन्नप्राशन संस्कार का महत्व? कब करना चाहिए अन्नप्राशन संस्कार? अन्नप्राशन कहां करना चाहिए? कैसे किया जाता है अन्नप्राशन संस्कार? अन्नप्राशन के दौरान बच्चे को कैसा भोजन खिलाया जाता है? अन्नप्राशन संस्कार समारोह आयोजित करने के लिए टिप्स: अन्नप्राशन में रिटर्न गिफ्ट के सु अन्नप्राशन संस्कार:- जानें कब कैसे और किस मुहूर्त में करें एक कहावत है जैसा खाए अन्न वैसा बन जाए मन। इस कहावत को हिंदू धर्म में काफी महत्व दिया जाता है इसलिए हिंदू परपंरा के 16 संस्कारों में से सातवां संस्कार है अन्नप्राशन , जिसका अर्थ है अन्न खिलाना। जब बच्चा 6 या 7 महीने का हो जाता है तो उसे एक शुभ मुहूर्त निकालकर और मंत्रोचारण के साथ चावल या कोई भी सात्विक अन्न खिलाया जाता है। इस संस्कार करने का उद्देश्य यह है कि बचपन से ही शिशु सात्विक और पौष्टिक भोजन का सेवन करें। अन्नप्रासन संस्कार को भारत देश में विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे: मुखेभात - पश्चिम बंगाल में, कोरोनू - केरल में, भात की खुलाई - उत्तराखंड मे, पसनी - युपी,ऍमपी,बिहार,नेपाल में, अन्नप्राशन शिशु को शुद्ध, सात्विक और पौष्टिक आहार देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिससे बच्चा मज़बूत बन सके और उसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो। ठोस भोजन का सेवन बच्चे के शरीर, हृदय और दिमाग को भी मजबूत बनाता है। इसके बाद परिवार के बाकी सदस्य भी बच्चे को अन्न खिलाते हैं और जीवनभर स्वस्थ रहने का आशीर्वाद देते हैं। इस संस्कार के वक्त एक मजेदार खेल भी खेला जाता है, जहां कई प्रतीकात्मक वस्तुओं को एक ट्रे में रखा जाता है जैसे मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताब और खाना आदि। इसमें से सबसे पहले शिशु जिस पर भी हाथ रखता है उसके भविष्य का ज्योतिषी द्वारा आकलन किया जाता है। कहा जाता है कि यदि बच्चा मिट्टी को हाथ लगाता है तो उसके पास संपत्ति होगी, यदि सोने के आभूषण को स्पर्श करता है तो धन होगा, कलम को हाथ लगाता है तो अत्यधिक ज्ञानी किस्म का होगा, किताब को हाथ लगाता है तो सीखने में रुचि रखेगा और खाने को स्पर्श करता है तो दयावान होगा। अन्नप्राशन शुभ मुहूर्त गणना एवं समय पुत्र का छठे माह में और पुत्री को सातवें माह में अन्नप्राशन सोमवार बुधवार गुरूवार शुक्रवार दी शुभ रवि मंगल शनि वर्जनीय होता है कृष्ण पक्ष से प्रथमा, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी जैसी तिथियों में कर सकते हैं। और शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ होता है। अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पूर्णवसु, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, अभिजीत, श्रवण, धन्वन्तर, रेवती आदि नक्षत्रों में यह संस्कार संपन्न करवाना चाहिए।
एस्ट्रो अरविन्द दिव्य रतन संस्थान
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Annaprashan Muhurat | अन्नप्राशन मुहूर्त तिथि नक्षत्र मुहूर्त्र एवं समय | Annaprashan Muhurat date and Time
अन्नप्राशन मुहूर्त 2021 के माध्यम से आइये जानते हैं अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त की तिथियों, शुभ समय के साथ साथ अन्नप्राशन संस्कार की महत्ता के बारे में। जानिये क्या है अन्नप्राशन संस्कार और इसे कैसे कर सकते है annaprashan ceremony, #annaprashan #annaprashansanskar #babygirl #Annaprashanmuhurat #अन्नप्राशनमुहूर्तएवंसमय #अन्नप्रासनसंस्कार #rashifal #annaprashanceremony #babyannaprashan #Annaprahasana #Annaprasanaathome #Annaprahasanaathome #Annaprasana #Riceceremony
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