बिना पंडित घर पर पितृ पक्ष मे करें तर्पण l Pitru Paksha Puja Vidhi at Home l श्राद्ध पूजा कैसे करेंl
Автор: SAMAYDHARA News Channel
Загружено: 2024-09-30
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बिना पंडित घर पर पितृ पक्ष मे करें तर्पण l Pitru Paksha Puja Vidhi at Home l श्राद्ध पूजा कैसे करेंl
पितृ पक्ष पितृ (पूर्वजों) को श्रद्धांजलि, तर्पण देने के लिए 16 चंद्र दिवस की अवधि है। इस वीडियो ट्यूटोरियल में जानें कि पितृ पक्ष के दौरान घर पर तर्पण कैसे करें।
पितृ पक्ष को पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए औपचारिक अनुष्ठान करने के लिए 16 दिनों की अवधि माना जाता है। इसे श्राद्ध या तर्पण के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति के लिए इसे आवश्यक माना जाता है।
Pitru Paksha Puja Vidhi at Home, How to Do Tarpan for Pitra in Shraadh, श्राद्ध पूजा कैसे करें
Pitru paksha is 16 lunar day period to pay homage, tarpan to pitru (ancestors). Learn in this video tutorial how to do Tarpan at home during Pitru Paksha.
Pitru Paksha is considered 16 days period to perform ceremonial rituals to pay regards and homage to the ancestors. It is known as Shraddha or tarpan. It is assumed neccesory in Hindu religion for salvation of the ancestor's soul.
पितृ पक्ष घर में तर्पण विधि और मंत्र
श्राद्ध पक्ष में घर पर ही पितरों का तर्पण यानी पितरों को जल अर्पण करना चाहिए
सबसे पहले मन में भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे सब कार्य निर्विग्न पूर्ण करें,
फिर एक बर्तन में शुद्ध जल, थोड़ा सा गंगाजल, दूध, जौ, काले तिल, चावल, चंदन डाल लीजिए
दक्षिण की ओर मोह करके कुशा या दुर्वा को दोहरा करके, दाहिने हाथ में आड़ा करके पकड़ लीजिए,
फिर अंगूठे से इस प्रकार जलांजलि देनी चाहिए इसे पित्र तीर्थ मुद्रा कहते हैं।
अब सबसे पहले अपने गोत्र का नाम लेते हुए, अपने कुल के सभी पित्रों को कहें कि आप उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए ये तर्पण विधि कर रहे है। जानी-अनजानी भूल-चूक के लिए आप हमें माफ करें।
उदाहरण के लिए कोठारी गोत्र में उत्पन्न हुए हमारे सभी पितरों से प्रार्थना करते हैं कि वो हमारे द्वारा दी गई जलांजलि ग्रहण करें।
इसके बाद अपने पित्रों को 3 जलांजलि दीजिये।
जैसे की पिता के लिए मैं अपने पिता श्री देवीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ
तस्मै स्वधा नमः कहते हुए जल दूसरे पात्र में अर्पण कर दीजिए।
मैं अपने पिता श्री देवीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ। तस्मै स्वधा नमः।
मैं अपने पिता श्री देवीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ। तस्मै स्वधा नमः
दादा के लिए में अपने दादा श्री गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जत अर्पण करता हूँ।
तस्मै स्वधा नमः। कहते हुए जल दूसरे पात्र में अर्पण कर दीजिए।
मैं अपने दादा श्री गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ। तस्मै स्वधा नमः।।
मैं अपने दादा श्री गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ। तस्मै स्वधा नमः।
मैं अपनी दादी श्रीमती सोसरबाई गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ।
तस्यै स्वधा नम: । कहते हुए जल दूसरे पात्र में अर्पण कर दीजिये।
मैं अपनी दादी, श्रीमती सोसरबाई गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ।
मैं अपनी दादी, श्रीमती सोसरबाई गिरधारीलाल जैन चोरडिया कोठारी की तृप्ति के लिए यह तिल सहित जल अर्पण करता हूँ।
इसी प्रकार अपने अन्य पित्रों के नाम लेते हुए उनको भी जल अर्पण करना चाहिए।
पिता, दादा आदि पुरुष पित्रों के लिए तस्मै स्वधा नमः और माता-दादी आदि स्त्री पित्रों के लिए तस्यै स्वधा नम: कहना चाहिए।
जिसकी जो पुण्य तिथि हो, उसी तिथि को श्राद्ध पक्ष में उसका तर्पण करना चाहिए।
जिन्हें अपने पितरों की तिथि पता न हो,उन्हें श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या को उन सभी का तर्पण करना चाहिए।
जो नरक आदि में यातना भुगत रहे हैं और मुझसे जल पाना चाहते हैं, उन सभी की तृप्ति के लिए जलांजलि अर्पण करता हूँ।
जो मेरे बंधु बांधव है और जो बंधु बांधव नहीं है, जो पिछले किसी जन्म के बंधु बांधव हैं, उनकी तृप्ति के लिए भी मैं ये जलांजलि अर्पण करता हूँ।
देव,ऋषि,पितृ,मानव सहित ब्रह्म पर्यंत सभी की तृप्ति के लिए मैं ये जलांजलि अर्पण करता हूँ।
माता और नाना के कुल के और करोड़ो कुलों के, सातों द्वीपों और समस्त लोकों में रहने वाले प्राणियों की तृप्ति के लिए मैं ये जलांजलि अर्पण करता हूँ।
जो मेरे बंधु बांधव है और जो मेरे बंधु बांधव नही है और जो पिछले अनेक जन्मों के बंधु बांधव है, वे सभी मेरे द्वारा अर्पण किए इस जल से पूरी तरह से तृप्त हो।
इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और फिर गाय को रोटी खिलानी चाहिए। फिर परिवार सहित भोजन आदि करना चाहिए।
यदि समय हो तो यमस्तोत्र और पितरस्तोत्र का भी पाठ करना चाहिए।
इसके बाद पूजा स्थान पर काले तिल छोड़ते हुए कहें कि हे, पितर देवताओं ये जलांजलि और भोग सामग्री ग्रहण कीजिए और हमे आशीर्वाद प्रदान कीजिए।
इस प्रकार श्राद्ध पक्ष में तर्पण आदि से पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है l
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