Amar Singh Rathore Song | अमर सिंह राठौर | Rathor | Rajput Ekta OFFICIAL | Sonu Raghav| Karan Thakur
Автор: Rajput Ekta Official (Sonu Raghav)
Загружено: 2022-06-11
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अमर सिंह राठौर
वीर अमरसिंह राठौड़ की शौर्य गाथा
अमरसिंह राठौड़ (11 दिसम्बर 1613 - 25 जुलाई 1644) मारवाड़ राज्य के प्रसिद्ध राजपूत थे। वो १७वीं सदी में भारत के मुग़ल सम्राट शाह जहाँ के राजदरबारी थे। अपने परिवार द्वारा निर्वासित करने के बाद वो मुग़लों की सेवा में आये। उनकी प्रसिद्ध बहादुरी और युद्ध क्षमता के परिणामस्वरूप उन्हें सम्राट द्वारा शाही सम्मान और व्यक्तिगत पहचान मिली। जिसके बाद उन्हें नागौर का सुबेदार बनाया गया और बाद में उन्होंने ही यहाँ शासन किया। सन् १६४४ में उनकी अनधिकृत अनुपस्थिति में सम्राट द्वारा कराधान से नाराज हुये और कर लेने के लिए जिम्मेदार सलाबत खान का तलवार से गला काट दिया। उनका वर्णन राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब के कुछ लोकगीतो में प्रसिद्धि प्राप्त है।
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राजपूत ही क्षत्रिय कहलाता है। क्षत्रिय वह है, जो ज्ञान से परिपूर्ण हो और पीठ पर शस्त्र हो। क्षत्रिय दोहरा धर्म निभाते हैं। वे अपनी तो रक्षा करते ही हैं दूसरों की रक्षा की भी जिम्मेदारी निभाते हैं।
(वीरता, तेज, धैर्य, दक्षता, युद्ध से पलायन न करना, दान, और ईश्वरभाव (राजा या स्वामी होने का भाव) - ये क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्म हैं।)
अपने कर्तव्य और दूसरों के अधिकारो की रक्षा करना ही धर्म है।
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Music Label & Copyright : Rajput Ekta Official
Presented By - Sonu Raghav
Song : VEER AMAR SINGH RATHORE ( वीर अमरसिंह राठौड़ ) ( Official Video )
Singer : Karan Thakur
GFX : Arun Malik (AP Film Waala Studio)
Video Editor : Lovekesh Raghav
Lyrics : Desh Raj Rasthogi
Music : Vineet Sharma (Dhwani Studio)
सच्चे योद्धा सच्चे क्षत्रिय
नहीं किसी से डरते हैं...
आए लाखों का लश्कर भी,
तो मार मार कर मरते हैं...
वीर अमर सिंह राठौड़...
योद्धा था भारी...
रुह कांपती दुश्मन की...
चलती छाती पर आरी...
शाहजहाँ को पता चला ....
राजपूत क्या होते हैं..
सामने आकर लड़ते हैं...
नहीं किसी फौज से डरते हैं...
एक अमर सिंह इकलौते से,
मुगल सल्तनत हारी...
वीर अमर सिंह राठौड़...
योद्धा था भारी...
रुह कांपती दुश्मन की...
चलती छाती पर आरी...
सलावत खान था, शाहजहाँ का सिपहसालार...
अमर सिंह की बहादुरी से
जलता था वो मक्कार...
उसने बैरी पन के काम करे...
शाहजहाँ के कान भरे...
जब बात आन की आ गई
तब सच की शक्ति छा गई
अमर सिंह ने ठानी...
और लिख दी अमर कहानी...
ऐसी चली उसकी तलवार
शाहजहाँ को किया लाचार...
लाशों से आगरा पाट दिया
सलावत खान को मार दिया
लाल किले की दीवार पे चढके...
छलांग यूँ मारी
शाहजहाँ ने दिल में ठाना...
अमर सिंह का सिर है झुकाना...
एक छोटा दरवाजा बनाया...
अमर सिंह को उसमें से बुलाया...
जब राजपूत जग जाता है...
सिर बिलकुल नहीं झुकाता है...
जो शाहजहाँ से नहीं हारा...
वो अपनों के छल से हार गया...
अर्जुन सिंह ने दगा किया
शाहजहाँ का साथ दिया...
जान देदी, पर सिर ना झुकाया...
वीर अमर बलिदानी.
वीर अमर सिंह राठौड़...
योद्धा था भारी...
रुह कांपती दुश्मन की...
चलती छाती पर आरी...
रणचंडी के भक्तों को, सोनू राघव शीश नवाता है.
देशराज भी हाथ जोड़, वीरों के गीत ही गाता है
अमर सिंह राठौर, जब तलवार घुमाया करता था...
घोड़े पर होके सवार, खलबली मचाया करता था...
हजार भी भिड़ने आएं, तो उनकी भेंट चढ जाती थी...
धरी की धरी रह जाती, दुश्मन की सारी तैयारी...
वीर अमर सिंह राठौड़...
योद्धा था भारी...
रुह कांपती दुश्मन की...
चलती छाती पर आरी...
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