भवन निर्माण कार्यस्थल का नजारा। Vishwakarma Puja 2022.
Автор: Civil engineering information
Загружено: 2022-09-18
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What is the story behind Vishwakarma puja?
Vishwakarma is considered as swayambhu and creator of the world. He constructed the holy city of Dwarka where Krishna ruled, the palace of Indraprastha for the Pandavas, and was the creator of many fabulous weapons for the gods
.Why is Vishwakarma puja celebrated?
Every year on September 17, Vishwakarma Puja is celebrated to mark the birth of Lord Vishwakarma, the architect. In Rig Veda, he is known as the architect of the world with knowledge of the science of mechanics and architecture.
hy Vishwakarma puja is celebrated on 17 September only?
This happens because Vishwakarma Puja is determined as per the Solar calendar whereas the other festival dates are fixed based on the Lunar calendar. Among the various towns that Vishwakarma has built, Dwarika, the kingdom of Lord Krishna, which is now submerged under the Arabian Sea, finds a special mention
भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने ब्रह्माजी के साथ मिलकर इस सृष्टि का निर्माण किया था। विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष तौर पर औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का इतिहास क्या है?
वेदों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को सभी देवी-देवताओं में दिव्य वास्तुकार और डिजाइनर के रूप में जाना जाता है. यानी भगवान विश्वकर्मा को मानने वाले लोग विश्वकर्मा भगवान को दुनिया का पहला इंजिनियर मानते हैं. इस साल विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से रात 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
विश्वकर्मा का जन्म कैसे हुआ?
ब्रह्मा के पुत्र 'धर्म' और धर्म के पुत्र 'वासुदेव' थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 'वस्तु' से उत्पन्न 'वास्तु' सातवें पुत्र थे,जो शिल्पशास्त्र में बहुत ही बुद्धिमान थे। वासुदेव की पत्नी अंगिरसी' ने भगवान विश्वकर्मा को जन्म दिया। आगे चलकर अपने पिता के तरह ही भगवान विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बनें।
विश्वकर्मा कौन से वंश के थे?
विश्वकर्मा ब्राह्मण जाति से भी संपर्क रखते है विश्वकर्मा पुराण के मुताबिक विश्वकर्मा जन्मों ब्राह्मण: मतलब ये जन्म से ही ब्राह्मण होते । इसे कई जातियों के लोग प्रयोग में लाते हैं जैसे कि पांचाल ब्राह्मण, धीमान ब्राह्मण ,शिल्पकार, करमकार इत्यादि और इन जातियों के लोग विश्वकर्मा को अपना इष्टदेवता मानते हैं।
क्या लोहार ब्राह्मण है?
इसे सुनेंरोकेंहथौड़ा, छेनी, धौंकनी आदि औजारों का पयोग करके लोहार फाटक, ग्रिल, रेलिंग, खेती के औजार, बर्तन एवं हथियार आदि बनाता है। भारत में लोहार एक प्रमुख व्यावसायिक जाति है। जाति के आधार से लोहार पिछड़े वर्ग में आता है और वर्ण के अनुसार शूद्र वर्ण में आता है।
विश्वकर्मा भगवान कितने भाई थे?
भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए जाते हैं- दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले. उनके मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र हैं. यह भी मान्यता है कि ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे और उन्होंने कई वस्तुओं का आविष्कार किया.
विश्वकर्मा कौन से ब्राह्मण हैं?
हां विश्वकर्मा ब्राह्मण सबसे ऊंच ब्राह्मण है ब्रह्मांड पुराण स्कंद पुराण विश्वकर्मा पुराण तथा वेदो आदि आदि पुराणों में
वर्णित इतिहासिक ज्ञान के अनुसार विश्वकर्मा ब्राह्मण उच्च ब्राह्मण हैं ।
विश्वकर्मा में कितने जाति आते हैं?
[1]विश्वकर्मा भगवान आमतौर पर इसमें पांच [2] जातियां गिनी जाती है - १. मिस्त्री ,२ लोहार ,३ कुम्भार ४ सोनार तथा ५ मूर्तिकार । इन जातियों के लोग विश्वकर्मा को अपना इष्टदेवता मानते हैं।
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