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ज्योतिष पूर्ण विज्ञान है क्योंकि हमारे सनातन संस्कृति का आधार वेद है, जो पूर्ण विज्ञान है और ज्योतिष वेदों का छठा अंग माना जाता है...। ज्योतिष दो शब्दों ज्योति + अष्क से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है ज्योति पिंड और जो ज्ञान इन ज्योति पिंडों के जड़ चेतन के प्रभाव का अध्ययन करता है उसे ज्योतिष विज्ञान कहते है।

दूसरे शब्दों में कहे तो बाहरी दुनिया के साथ हमारे संपर्कों को जानने-समझने का तरीका है ज्योतिष। यह ऐसा विज्ञान है, जो वातावरण द्वारा मनुष्य पर पड़नेवाले प्रभावों की स्टडी करता है। इसमें समुद्र तल से ऊंचाई, देशांतर-अक्षांश, पर्यावरण, स्तंभन, चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण, रेडिएशन ईश्वर, पुनर्जन्म, पूर्वजन्म और मनुष्य का विवेक मायने रखता है।

सबसे पहले इसी विज्ञान ने ब्रह्मांड के बारे में नक्षत्रों, ग्रहों, राशियों के बारे में विस्तार से बताया। उसका गणितीय संयोजन प्रस्तुत किया, जो आज के खगोल विज्ञान का आधार बना। पृथ्वी पर होने वाली ऋतुओं, तिथि, समय, अंक, समुद्र में ज्वार-भाटे, सूर्य-चन्द्र ग्रहण या धरती पर पर होने वाले सृजन, विकार या विनाश का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है|