Acharya Shri Hori

विज्ञानमय धर्म के प्रणेता #आचार्यश्रीहोरी दार्शनिक धार्मिक आचार्य , प्रसिद्ध कवि,लेखक|आश्रम_धरसनिया बाराबंकी - लखनऊ अयोध्या मार्ग संस्थापक-बौद्धिकआश्रम
कर्म,ज्ञान,विज्ञान और बुद्धि मार्ग |
दीपशिखा ध्यान और त्रिनेत्र - ध्यान
(Third Eye Meditation) धार्यते इति धर्म: - यही धर्म है|सम्प्रदाय,मजहबसेक्ट,पंथ मनुष्य कृत हैं ये स्वयं धर्म नहीं हैं , हां, इनमें धर्म के अंश अवश्य मिलते हैं |आदिकाल से समय समय पर पुरुषोत्म,महापुरुष,पैगम्बर आदि आए। ब्रह्मएकहै ,निराकार,सर्वशक्तिमान सर्व व्याप्त है | आप में आत्मरुप में अणु अणु में व्याप्त है| वही आत्मा कहा गया और वही परमात्मा और ब्रह्म| वह अनंत ऊर्जा है | ऊर्जा नष्ट नहीं होती | आत्मा परमात्मा अजर,अमर,अविनाशी हैं | नैनं छिन्दंति शस्त्राणि -| ब्रह्म अवतार नहीं लेता| वह ऊर्जा मात्र हर काल,स्थल में व्याप्त है |
स्वर्ग,नर्क की अवधारणा मिथ्या है | पाखंड,अंध आस्था और अंध विश्वास धर्म नहीं | मानव और जीव धर्म सदा विज्ञानमय, विज्ञान सम्मत होता है|| ब्रह्म-ऊर्जा पूर्ण सत्य है
राजकुमार सचान होरी RAj Kumar Sachan Hori . Acharya Hori . Bauddhik Acharya