अध्यात्म पथ

"तत् त्वम् असि":- जिसे तुम खोज रहे हो वह तुम्हारे अंदर है। यह महावाक्य यह बोध कराता है कि : “हर प्राणी ब्रह्म स्वरूप है। तुम अंदर से वही हो जो तुम बाहर ढूँढ रहे हो। तुम्हारा होना ही वही है। हम जिस पूर्णता परमात्मा को बाहर खोज रहें है वह हमारे अंदर ही विद्यमान है”। ईश्वर की खोज अष्टांग योग(यम,नियम,आसन,प्राणायाम, प्रत्यहार ,धारणा,ध्यान,समाधि) से की जाती है।