Ayurvedic Gyan chamak Lal Yadav
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नाद के सतत अभ्यास से वासना छीन हो जाती है और मां तथा प्राण वायु निरंजन में लय हो जाते हैं
शब्द और अक्षर पर ब्रह्म हैं एक के क्षीण हो जाने पर अन्य अक्षर रहता है उसको जानने वाले अक्षर का ध्यान
पाप कानाशकैसे होता है और ब्रह्म देव का उपदेश क्या है
मोह से आसक्ति होती है आसक्ति से जीवात्मा की दुर्गति होती है सद्गति के लिए सद्गुरु के शरणमें जाएं
विषय कीआसक्ति से जीवात्मा की दुर्गति होती है अतः विषयों को त्याग कर ईश्वर प्राप्त करें
झूठीपशंसा और निंदा के चक्कर में फंसकर अपना जीवन व्यर्थ मैं नष्ट नहीं करें सद्बुद्धिसेसे सद्गतिपप्त
असत्य दुख देता है माया से बचने के लिए सद्गुरु के शरणमें जाएं
कामना का नाच संतोषसे होता हैं अतः विषयों को त्याग कर सतगुरु से युक्ति प्राप्त करके भक्ति करें
मौत जानने के बाद भोग की समाप्ति होती है अतः सद्गुरु कृपा से ही परमात्मा प्राप्ति होती है
विषयों का मालिक मन है जीवात्मा की सद्गति के लिए मां को नियंत्रित करने का विधि ज्ञानप्प्त करें
इस संसार में ज्ञान से श्रेष्ठ और पवित्र दूसरा कोई वस्तु नहीं है अतः ज्ञान प्राप्ति के लिए सद्गुरु
जप में एकाग्रता होनी चाहिए जीवात्मा केसदति के लिए सद्गुरु के चरणों की सेवा परम आवश्यक ह
शुभ काम यथा शीघ्र करनी चाहिए और अशुभ है कार्य को त्याग करके ईश्वर प्राप्ति करने में ही ध्यान करें
केवल परम पद नाना मार्गो से पाना कठिन है नाना शास्त्रों के जाल में फंसे लोग बुद्धि सेहोहित हो
शब्द और अक्षर पर ब्रह्म हैं एक के छन हो जाने पर अन्य अक्षर रहता है उसको जानने वाला अक्षर कन करें
बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि अपने मन को इंद्रियों के विषयों से खींचकर ईश्वर प्राप्ति मेंलगालगा
दो विद्याएं समझनी चाहिए शब्द ब्रह्म और परब्रह्म जो शब्द ब्रह्मम निपुण हो जाती है वह पर ब्रह्म की प्र
सद्बुद्धि से सद्गति कीपप्ति होती हैं और कुमुद्धि से जीवात्मा की दुर्गति होती है अतः विषयों को त्याग
जब मन विषयों से विरक होजाए तब सन्यास ग्रहण करना चाहिए क्योंकि विषय बड़ाबालबात होता है
व्यर्थ की चिन्ता त्याग कर ईश्वर प्राप्ति करने के लिए श्री सद्गुरुके शरण में जाएं
पवित्र आत्मा से ही परमात्मा की प्राप्ति होगी अतः पवित्र इच्छा से ही सफलता सिद्ध होगी
जिस व्यक्ति का मन निराकार हैं वह निराकार सदृशहोता है ज्ञानियों के शब्दों को अमल करें और सरकार
मनऔर माया के कुसंगति में जीवात्मा अनेक प्रकार के दुख को भोगता है अतःमुक्ति प्राप्त के लिए सद्गुरु शर
नाद रूप मन का मंडल भौओं के बीच में है यह ज्ञानियों ने कहा है और यह नाद लिंग चिदात्मक पीठ ट है
ईश्वर कहां है और कैसे प्राप्तहोते है अतः विषयों को त्याग कर सतगुरु से युक्ति प्राप्त करके भक्ति करे
बिंदु नाद रूप जो महा लिंग है वहीं विष्णु और लक्ष्मी का घर है यह शरीर में सिद्धि मिलती है
योग्यता के आधार पर ही फल की प्राप्ति होतीहै अतः सद्गति प्राप्त करने के लिए सद्गुरु के शरण में जाएं
सुसंगती से गुण होता है और कुसंगति से दुर्गुण होता है अतः विषयों को त्याग कर सत्गुरु शरण में जाएं
शून्य गत मन को ही ध्यान कहते हैं और बिना ध्यान का ज्ञान नहीं होता और बिना ज्ञान से मोक्ष नहीं हो
मोक्ष प्राप्ति करने के लिए ज्ञान और योग दोनों का दृढ़ता से अभ्यास करनी चाहिए विषय की आसक्ति त्याग कर