Prashant Kumar Sharma


सच्ची भक्ति भक्त के मन की वह अवस्था है जब वह भगवान की शरण से एक क्षण का भी वियोग सहन नहीं कर पाता और जब परिस्थितियों के कारण उसे बलपूर्वक उस शरण से हटा भी दिया जाता है, तो वह संघर्ष करके पुनः भगवान से जुड़ जाता है, जैसे चुम्बक से सुई जुड़ जाती है।