Radha Rathor

* भक्ति का अर्थ है, किसी को अपने से श्रेष्ठ सत्ता मानकर उसके सामने श्रद्धापूर्वक झुकना और उसके अनुकूल व्यवहार करना.

* भक्ति के मूल तत्व में एक उच्च उद्देश्य, विश्वास, देवता या कारण के प्रति अटूट और पूरे दिल से प्रतिबद्धता शामिल है.

* भक्ति में गहरा प्यार, निष्ठा और समर्पण होता है.
भक्ति के चार प्रकार माने गए हैं- सात्विकी, राजसी, तामसी और निर्गुण.

* भक्ति के नौ प्रकारों को नवधा भक्ति कहा जाता है. ये हैं- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, और आत्मनिवेदन.

* भक्ति शब्द 'भज् सेवायाम्' धातु से क्तिन् प्रत्यय लगने पर बना है. इसका अर्थ है, 'सेवा करना'.

* भक्ति के कई रूप हैं, जैसे- ईश्वर-भक्ति, भगवान की भक्ति, गुरु-भक्ति, देश-भक्ति, मातृ-भक्ति, पितृ-भक्ति आदि.

* भक्ति करना इसलिए अनिवार्य है क्योंकि प्रभु ने हमें पवित्र सद्ग्रंथों में भक्ति करने का आदेश दिया है.