Mahaabhaarat Katha Shrinkhala
महाभारत कथा श्रृंखला महर्षि वेद व्यास रचित महाकाव्य महाभारत पर आधारित है। सम्पूर्ण महाभारत के समस्त पर्वों और उपपर्वों में कही गई सारी कथाओं को छोटी-छोटी कड़ियों के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, उनके कुछ वर्णनात्मक अंशों को आवश्यकता भर सम्पादित करके।
यह प्रस्तुति उन सारे लोगों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध होगी जो महाभारत पर किसी गम्भीर चर्चा-परिचर्चा, शोध अथवा रचनात्मक कार्य में लगे हुए होंगे और महाभारत की मूल कथा को, बिना किसी विश्लेषण या टिप्पणी के, सुनना चाहते होंगे।
इस श्रृंखला की प्रस्तुति शैक्षणिक उद्देश्य से की जा रही है। किसी भी धर्म, जाति, लिंग, रंग, आयु, शारीरिक क्षमता अथवा अन्य किसी भी प्रकार के भेद-आधार के पक्ष में यह रचनात्मक प्रस्तुति ना खड़ी है ना ही उसका समर्थन करती है।
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शल्य का वध
शल्य का युधिष्ठिर के साथ युद्ध
मद्रनरेश शल्य का पराक्रम
शल्य का युधिष्ठिर और भीम के साथ युद्ध
नकुल द्वारा कर्ण के तीन पुत्रों का वध
कौरव सेना का पलायन
अठारहवें दिन का युद्ध शल्य के सेनापतित्व में
पाण्डव-पक्ष की प्रतिक्रिया
शल्य का सेनापति बनना
संधि-प्रस्ताव पर दुर्योधन का विचार
कृपाचार्य का दुर्योधन को संधि-प्रस्ताव का सुझाव देना
कर्ण के मृत्योपरांत कौरव सेना की अवस्था
दुर्योधन की मृत्यु पर महाराज धृतराष्ट्र का विलाप
संजय का हस्तिनापुर आकर धृतराष्ट्र को दुर्योधन के वध की सूचना देना
श्रद्धेय राधेय : कर्ण पर मेरा दृष्टिकोण
युधिष्ठिर की अपार प्रसन्नता
कौरव सेना का शिविर को लौटना : सत्रहवें दिन का युद्ध समाप्त
वीरगति को प्राप्त कर्ण का देदीप्यमान पार्थिव शरीर
शल्य के द्वारा रणभूमि का दिग्दर्शन
सेना के पलायन को रोकने का दुर्योधन द्वारा प्रयास
शल्य का दुर्योधन को सांत्वना देना
कर्ण का वध
कर्ण को मिले शापों का फलित होना
अश्वसेन नाग प्रसंग
कर्ण अर्जुन का सघन होता युद्ध
कर्ण और अर्जुन का युद्ध आरम्भ
अश्वत्थामा का दुर्योधन को पांडवों से संधि कर लेने का सुझाव
युद्ध-पूर्व आश्वस्ति वचन
कर्ण अर्जुन के पक्ष विपक्ष में विभाजित ब्रह्माण्ड
अर्जुन का कर्ण तक पहुंचना