श्वेता भारद्वाज की कविताएं
मैं जी भर जी लूं तो वो ,मौत भर मरना चाहे
बेइंतहा पीर भी दे अंजान वो बनना चाहे।
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@shwetabhardwajm
पश्मिनें में लिपटा प्रेमी दिसंबर||श्वेता भारद्वाज||कविता||
हाल वो इश्क का सुनाने लगें हैं,बेवजहा ही हम मुस्कुराने लगें हैं||श्वेता भारद्वाज 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
इक चांद का टुकड़ा तू ही ,इस कविता का मुखड़ा तू ही||कवियित्री श्वेता भारद्वाज 🙏🏻🙏🏻
मेरा ज़िक्रभी अब उनके लिए परेशानी सीहै,मुझे मेरे ग़ुमशुदा ज़िन्दगी पर हैरानीसी है||श्वेता भारद्वाज
रास्ते रौंद कर चलना वो जानते हैं,हस्ती ख़ाक कर संभलना वो जानते हैं||कवियित्री श्वेता भारद्वाज
याद आये तो मुस्कुरा देना, दर्दे दिल को तुम भुला देना||कवियित्री श्वेता भारद्वाज
सर्पिली लहरों सी|खण्डित मूर्ति सी|थाल की जूठन सी||कवियित्री श्वेता भारद्वाज 🙏🏻🙏🏻
हर आहट पे धड़क गया दिल है, तेरी सांसों से पिघल गया दिल है।। श्वेता भारद्वाज
शब्द सीढ़ियों से क्रीड़ा करना तुम्हीं से सीखा, जाना मौन रहकर प्रभुत्व स्थापित करना||श्वेता भारद्वाज
आलिंगन भर रेत मिली||कण कण रेत बनी कविता||श्वेता भारद्वाज 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
उसके वापस ना आने का फैसला करीब था||वो मेरी रूह में ख़ुशबुओं सा बिख़रा अजीब था||
भाव भाषा बन गई है, आओ तुमको साध लूं ||श्वेता भारद्वाज |
मक़सद उसे रूलाना था |ज़िंदगी यूं छीन कर | आग़ाज़ ऑनलाइन सम्मेलन |श्वेता भारद्वाज
भाव भाषा बन गई है | है ज़िल्लत भी हूं अफ़सुर्दा | कुंभ कलश साहित्य कवि सम्मेलन | श्वेता भारद्वाज