Hrishkesh Oza माँ नर्मदाजी और आध्यात्मिक सत्संग
माँ नर्मदाजी और स्वामीजी
श्री.नर्मदानंदजी महाराज और विविध संतों के ऊपर आध्यात्मिक सत्संग विडिओ
हमारे हर परिस्थिती में परम पिता परमेश्वर हमारी रक्षा करते है l
स्वामीजी द्वारा रथ यात्रा का महत्व भाग 2
स्वामीजी द्वारा रथ यात्रा का महत्व
ध्यान का ध्येय भी परमात्मा होना चाहिए...
नर्मदा परिक्रमा यात्रा नही है... वो एक तपस्या है...
गोपारेश्वर महादेव स्थान महात्म्य और माता नर्मदाजी के कुछ अन सुनी बाते...
देखीये Making of Bhajn " नमन करू " यह दिव्य भजन कैसे बनाया गया है....
NAMAN KARU... सद्गुरू प्रती समर्पित एक दिव्य भजन @
मां नर्मदाजी के कौनसे मंत्र का अनुष्ठान करते हुए हमे नर्मदा परिक्रमा करनी चाहिए l
सत्संग - सद्गुरू स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज द्वारा
उत्तर वाहिनी नर्मदा परिक्रमा के लिये सद्गुरू स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज द्वारा आशीर्वाद
सत्संग - सद्गुरू स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज द्वारा
अंतिम समय भगवान को क्या ऑडिट देओगे ???... सत्संग - सद्गुरू स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज द्वारा
साधना कब करे... और कैसे करे.... सत्संग - सद्गुरू स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज इनके द्वारा
दक्षिण प्रयाग तीर्थ चांदोद के पंचक्रोशी परिक्रमा का स्थान महत्व...
दक्षिण प्रयाग तीर्थ चांदोद की पंचक्रोशी परिक्रमा...
पूर्ण निष्काम भाव ,निष्पाप स्थिती के बिगर साधक को परमात्मा की प्राप्ती नही होती.....
हमारे जीवन का लक्ष्य प्राणप्रिय परमात्मा होना चाहिये।
जीवन में अपनाईये भागवत भक्ती धारा
संतवर्य योगीराज श्री शंकर महाराज मंदिर .... स्वामी मठ तिलकवाडा गुजरात
जीवनयात्रा जीव से लेकर शिव तक होनी चाहिये। i...
गुरुपूर्णिमा उत्सव कोटेश्वर महादेव मंदिर बरकल,गुजरात2024
કલયુગમાં તારણ હાર શ્રીમત ભાગવત મહાપુરાણ कल युग में तारण हार श्रीमद् भागवत ग्रंथ
मन और बुद्धी से ही हमें भगवान की प्राप्ती होती है ...
संत शिरोमणी श्री सियारामबाबा के चरणों में उत्तरवाहिनी नर्मदा परिक्रमा पुस्तक समर्पित करते हूए।
भाव सहित क्रिया को पुजा कहते है... और भाव शुन्य पुजा को कर्म कहते है....
पुर्ण निष्काम, निष्पाप स्थिती के बिगर साधक को परमात्मा का साक्षात्कार नहीं होता.... भाग 1
संत और सत्संग के बिना जीवन अधूरा है।
एक रूप,एक मुर्ती ,एक मंत्र ,एक निष्ठा बनाईये। सत्संग - स्वामीजी श्री नर्मदानंदजी महाराज
ईश्वर सर्व व्यापक है ....आनंद स्वरूप है।